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विदेशी निवेशकों का रुख: भारत से निकासी, चीन में बढ़ता निवेश

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हाल के समय में वैश्विक वित्तीय बाजारों में एक महत्वपूर्ण बदलाव देखा जा रहा है। विदेशी संस्थागत निवेशक (FIIs) भारत में अपने निवेश को घटा रहे हैं और चीन की ओर रुख कर रहे हैं। यह प्रवृत्ति भारतीय शेयर बाजार के लिए चिंताजनक है, क्योंकि इससे बाजार में अस्थिरता बढ़ सकती है और घरेलू निवेशकों के मनोबल पर असर पड़ सकता है।

FIIs का भारत से पलायन क्यों?

  1. अमेरिकी ब्याज दरों में वृद्धि: अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में वृद्धि से भारत जैसे उभरते बाजारों से विदेशी पूंजी बाहर जा रही है।

  2. चीन में निवेश के अवसर: चीन की सरकार ने विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने के लिए नई नीतियाँ लागू की हैं, जिससे FIIs चीन की ओर आकर्षित हो रहे हैं।

  3. रुपये में गिरावट: भारतीय रुपये की कमजोरी विदेशी निवेशकों को नुकसान पहुँचा रही है, जिससे वे अपने निवेश को अन्य मजबूत मुद्राओं वाले देशों में स्थानांतरित कर रहे हैं।

  4. भारत में उच्च मूल्यांकन: भारतीय शेयर बाजार में कई कंपनियों के शेयरों का मूल्यांकन अधिक है, जबकि चीन में तुलनात्मक रूप से कम कीमत पर निवेश के अवसर उपलब्ध हैं।

चीन में निवेश क्यों बढ़ा?

  1. सरकारी प्रोत्साहन योजनाएँ: चीन की सरकार ने प्रौद्योगिकी और हरित ऊर्जा क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर निवेश आकर्षित करने के लिए नई योजनाएँ शुरू की हैं।

  2. सस्ती कंपनियाँ: चीनी बाजार में कई कंपनियों के शेयर अभी भी आकर्षक मूल्यांकन पर उपलब्ध हैं, जिससे FIIs को अधिक लाभ की संभावना दिख रही है।

  3. स्थिर युआन: चीन की मुद्रा युआन अपेक्षाकृत स्थिर बनी हुई है, जिससे विदेशी निवेशकों को वहाँ निवेश करने में अधिक भरोसा हो रहा है।

भारत के लिए संभावित प्रभाव

  • शेयर बाजार में अस्थिरता: FIIs की बिकवाली के कारण भारतीय शेयर बाजार में गिरावट की संभावना बढ़ सकती है।

  • रुपये पर दबाव: विदेशी पूंजी के बाहर जाने से भारतीय रुपये पर और अधिक दबाव आ सकता है।

  • घरेलू निवेशकों की भूमिका: यदि घरेलू निवेशकों का समर्थन बना रहता है, तो यह गिरावट लंबे समय तक नहीं टिकेगी।

  • सरकार की रणनीति: सरकार को निवेश के माहौल को बेहतर बनाने और विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए नई नीतियाँ लागू करनी होंगी।

निष्कर्ष

हालांकि FIIs का चीन की ओर बढ़ता रुझान भारतीय बाजार के लिए एक चुनौती हो सकता है, लेकिन यह पूरी तरह से नकारात्मक नहीं है। भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है और दीर्घकालिक रूप से निवेशकों को अच्छे अवसर प्रदान कर सकती है। सरकार और घरेलू निवेशकों के संयुक्त प्रयासों से भारतीय शेयर बाजार फिर से स्थिरता हासिल कर सकता है।

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