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फ्रांस के शहर मार्सिले में किस क्रांतिकारी का घर खोज रहे थे सावरकर? पढ़िए पूरी कहानी
- Repoter 11
- 12 Feb, 2025
विनायक दामोदर सावरकर, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान क्रांतिकारी, न केवल एक स्वतंत्रता सेनानी थे, बल्कि वे एक विचारक, कवि और लेखक भी थे। उनकी क्रांतिकारी सोच और स्वतंत्रता के प्रति उनकी अदम्य इच्छा ने उन्हें विश्वभर के स्वतंत्रता संग्रामों से प्रेरणा लेने के लिए प्रेरित किया। ऐसा ही एक प्रेरणास्रोत थे इतालवी क्रांतिकारी ज्युसेपे मेज़िनी (Giuseppe Mazzini), जिनके घर को खोजने के उद्देश्य से सावरकर फ्रांस के मार्सिले शहर पहुंचे थे। आइए, जानते हैं पूरी कहानी।
कौन थे ज्युसेपे मेज़िनी?
ज्युसेपे मेज़िनी 19वीं शताब्दी के महान इतालवी क्रांतिकारी और विचारक थे, जिन्होंने इटली को स्वतंत्रता और एकता दिलाने के लिए संघर्ष किया। वे 'यंग इटली' नामक संगठन के संस्थापक थे, जो इटली को विदेशी शासन से मुक्त कराने के लिए युवाओं को संगठित करता था। मेज़िनी का विचार था कि राष्ट्रीय एकता और स्वतंत्रता मानवता के सर्वोच्च उद्देश्य हैं। उनकी ये क्रांतिकारी सोच और उनके लेखन सावरकर को गहरे स्तर पर प्रभावित करते थे।
सावरकर की प्रेरणा और मार्सिले की यात्रा
सावरकर, जिन्होंने अपनी उच्च शिक्षा के लिए 1906 में लंदन का रुख किया, उस समय भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा देने की सोच रखते थे। वे विश्व के अन्य स्वतंत्रता संग्रामों से प्रेरणा लेना चाहते थे और मेज़िनी उनके लिए आदर्श थे। सावरकर ने मेज़िनी की जीवनी का अध्ययन किया और उससे इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने 'मेज़िनी का जीवन चरित्र' नामक पुस्तक लिखी, जिसने भारतीय युवाओं में क्रांतिकारी भावना जागृत की।
मेज़िनी के जीवन को और गहराई से समझने के लिए सावरकर ने उनके पूर्व निवास स्थल को देखने की योजना बनाई। यही कारण था कि वे फ्रांस के मार्सिले शहर पहुंचे, जहां मेज़िनी ने अपने क्रांतिकारी विचारों को आकार दिया था।
मेज़िनी के घर की खोज और संघर्ष
मार्सिले पहुंचने पर सावरकर ने मेज़िनी के घर का पता लगाने की कोशिश की। उन्होंने स्थानीय गाइडों, पुस्तकालयों, और समाचार पत्रों के संपादकों से इसके बारे में जानकारी ली, लेकिन दुर्भाग्यवश उन्हें सफलता नहीं मिली। उस समय फ्रांस में मेज़िनी के बारे में जानकारी प्राप्त करना कठिन था, क्योंकि वहां की राजनीतिक परिस्थितियां बदल चुकी थीं और मेज़िनी के क्रांतिकारी विचारों को लेकर एक विरोधाभासी धारणा थी।
सावरकर ने इस अनुभव को अपनी पुस्तक 'इनसाइड द एनिमी कैंप' में विस्तार से लिखा है। उन्होंने मार्सिले के उन गलियारों का वर्णन किया है, जहां वे मेज़िनी के घर की तलाश में भटकते रहे, लेकिन उन्हें केवल निराशा ही हाथ लगी।
मार्सिले का ऐतिहासिक महत्व और सावरकर का साहसिक प्रयास
मार्सिले का सावरकर के जीवन में केवल मेज़िनी की खोज के कारण ही नहीं, बल्कि 1910 में उनकी गिरफ्तारी के कारण भी ऐतिहासिक महत्व है। जब वे लंदन में गिरफ्तार होकर भारत लाए जा रहे थे, तो उन्होंने मार्सिले के बंदरगाह पर जहाज से कूदकर भागने का साहसिक प्रयास किया। उनका उद्देश्य फ्रांस में शरण लेना और फिर से स्वतंत्रता संग्राम को गति देना था।
हालांकि, सावरकर को दोबारा पकड़ लिया गया और उन्हें काला पानी (अंडमान की जेल) की कठोर सजा दी गई। इस घटना ने उन्हें भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के नायक के रूप में स्थापित कर दिया और मार्सिले भी भारतीय इतिहास में अमर हो गया।
वर्तमान में मार्सिले का महत्व और सावरकर को श्रद्धांजलि
हाल ही में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी फ्रांस यात्रा के दौरान मार्सिले में सावरकर को श्रद्धांजलि दी। यह घटना भारतीय इतिहास के उस अध्याय को फिर से जीवंत करती है, जब सावरकर ने स्वतंत्रता की खोज में अपने प्राणों की आहुति देने का संकल्प लिया था।
मार्सिले अब केवल एक शहर नहीं, बल्कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का प्रतीक बन गया है, जहां एक महान क्रांतिकारी ने स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया और प्रेरणा के स्रोत की खोज की।
निष्कर्ष
विनायक दामोदर सावरकर की मार्सिले यात्रा केवल मेज़िनी के घर की खोज तक सीमित नहीं थी, बल्कि यह उनकी स्वतंत्रता के प्रति अटूट निष्ठा और क्रांतिकारी सोच की मिसाल है। मेज़िनी के विचारों से प्रेरित होकर सावरकर ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा दी और मार्सिले में उनकी साहसिकता ने उन्हें इतिहास के पन्नों में अमर कर दिया।
आज भी, सावरकर और मार्सिले की यह कहानी हमें यह संदेश देती है कि स्वतंत्रता और न्याय की तलाश में किए गए प्रयास कभी व्यर्थ नहीं जाते। सावरकर का जीवन और उनकी यह यात्रा हमें साहस, निष्ठा, और देशभक्ति की प्रेरणा देती
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