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राजस्थान की जोजरी नदी में प्रदूषण की तबाही: दरकते घर, बीमारियां और डर का माहौल

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राजस्थान के जोधपुर जिले से बहने वाली जोजरी नदी, जो कभी स्थानीय समुदायों के लिए जीवनरेखा थी, अब प्रदूषण और अव्यवस्था का प्रतीक बन गई है। औद्योगिक कचरे और अनुपचारित सीवेज के निरंतर प्रवाह ने इस नदी को जहरीली नाली में बदल दिया है, जिससे आसपास के गांवों में गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं।

नदी का वर्तमान परिदृश्य

जोजरी नदी, जो नागौर जिले के पुंदलू गांव के पास की पहाड़ियों से निकलती है और जोधपुर जिले के खेयालदा गांव के पास लूणी नदी में मिलती है, लगभग 83 किलोमीटर लंबी मौसमी नदी है। वर्तमान में, यह नदी जोधपुर औद्योगिक क्षेत्र से निकलने वाले अनुपचारित कचरे के कारण अत्यधिक प्रदूषित हो चुकी है। विशेष रूप से, कपड़ा मिलों और स्टील रोलिंग इकाइयों से निकलने वाले कचरे ने नदी के जल को विषैला बना दिया है।

प्रदूषण के प्रभाव

नदी के प्रदूषण का प्रभाव आसपास के गांवों पर विनाशकारी रहा है। मोंगरा खींचन गांव के निवासी श्रवण पटेल बताते हैं कि उनका घर नदी से मात्र 50 मीटर की दूरी पर है, और वहां की दुर्गंध असहनीय हो गई है। घर के अंदर सांस लेना मुश्किल हो गया है, और लोग प्रतिदिन बीमार हो रहे हैं। स्थिति इतनी गंभीर है कि लोग अपने घर छोड़ने पर मजबूर हो रहे हैं।

इसके अलावा, नदी के प्रदूषित जल के कारण कृषि भूमि भी प्रभावित हुई है। सिंचाई के लिए उपयोग किए जाने वाले इस जल ने मिट्टी की उर्वरता को कम कर दिया है, जिससे फसल उत्पादन में भारी गिरावट आई है। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, इस जल का उपयोग करने से मिट्टी में लवणता बढ़ी है, सतह पर क्रस्ट बन गया है, और जल की अवशोषण दर में कमी आई है।

स्वास्थ्य पर प्रभाव

नदी के प्रदूषित जल का उपयोग करने से स्वास्थ्य पर भी गंभीर प्रभाव पड़ रहा है। एक अध्ययन में पाया गया कि जोजरी नदी के आसपास उगाए जाने वाले खाद्यान्नों में सीसा और कैडमियम जैसे भारी धातुओं की मात्रा विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा निर्धारित सीमा से अधिक है। यह खाद्यान्नों का सेवन करने वाले लोगों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा करता है।

वन्यजीवों पर प्रभाव

नदी के प्रदूषण का प्रभाव केवल मनुष्यों तक ही सीमित नहीं है; यह वन्यजीवों पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है। धवा डोली क्षेत्र, जो पहले जैव विविधता के लिए जाना जाता था, अब वहां की वनस्पति और जीवों की संख्या में भारी गिरावट देखी गई है। विशेषज्ञों के अनुसार, जोजरी नदी के बढ़ते प्रदूषण के कारण इस क्षेत्र में प्रवासी पक्षियों की संख्या में भी कमी आई है।

सरकारी प्रयास और चुनौतियां

राजस्थान सरकार ने जोजरी नदी के प्रदूषण को कम करने के लिए 176 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, जिससे नदी की सफाई और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स की स्थापना की जा सके। हालांकि, स्थानीय निवासियों का कहना है कि पहले भी इस तरह की घोषणाएं की गई थीं, लेकिन वे जमीन पर लागू नहीं हो सकीं।epaper.mahanagartimes.com

निष्कर्ष

जोजरी नदी का प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन चुका है, जो न केवल पर्यावरण, बल्कि स्थानीय समुदायों के स्वास्थ्य और आजीविका पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है। सरकार और स्थानीय प्रशासन को इस दिशा में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि नदी को पुनर्जीवित किया जा सके और आसपास के गांवों को सुरक्षित और स्वस्थ वातावरण मिल सके।

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