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प्रेम पर प्रेमानंद जी महाराज के पढ़ें ये अनमोल विचार
- Repoter 11
- 13 Feb, 2025
प्रेमानंद जी महाराज के अनमोल विचार जीवन को सही दिशा में मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। उनके अनुसार, ईश्वर के प्रति हमारा प्रेम ऐसा होना चाहिए जैसे अज्ञानी व्यक्ति अपने शरीर से करता है। वे कहते हैं कि आराध्य देव के चरणों की सेवा ही सबसे बड़ा कर्म है। जैसे हम सांस के बिना नहीं जी सकते, वैसे ही भगवान के बिना हमारा अस्तित्व नहीं है। यदि मनुष्य अपना चित्त समेटकर प्रभु के चरणों में समर्पित कर दे, तो उसका योग, धर्म, और कर्म सभी सार्थक हो जाते हैं। अपने आराध्य देव में अनन्य ममता रखना ही ईश्वर को पाना है, यही ईश्वर के प्रति सच्चा प्रेम है।
प्रेमानंद जी महाराज के अनुसार, सच्चा सुख आत्मा में है; बाहरी सुख अस्थायी होते हैं। जो मनुष्य अपने मन को नियंत्रित कर लेता है, वही सच्चा योगी होता है। ध्यान और साधना से ही आत्मा की शुद्धि होती है। प्रेम ही ब्रह्म है, यही सत्य है। मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु उसका खुद का अहंकार है। वह व्यक्ति सबसे बड़ा है, जो अपने जीवन में संतुलन बनाए रखता है।
इन विचारों के माध्यम से प्रेमानंद जी महाराज हमें आत्म-ज्ञान, प्रेम, और भक्ति के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं, जिससे हम अपने जीवन को सुधार सकते हैं और संतुलन बनाए रख सकते हैं।
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