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महाकुंभ की ‘सबसे सुंदर साध्वी’ हर्षा रिछारिया: क्यों छोड़ी उन्होंने अपनी पिछली जिंदगी?

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उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ की शुरुआत हो चुकी है, और करोड़ों श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाने के लिए मेले में उमड़ रहे हैं। महाकुंभ में नागा साधुओं और बाबाओं के बीच एक खास चेहरा सोशल मीडिया पर खूब सुर्खियां बटोर रहा है—हर्षा रिछारिया। उन्हें सोशल मीडिया पर ‘महाकुंभ की सबसे खूबसूरत साध्वी’ कहा जा रहा है।

कैसे हुआ अचानक बदलाव?

महाकुंभ के दौरान जब हर्षा रिछारिया से उनके जीवन में इस बदलाव के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि अब उन्हें बस शांति चाहिए। उनका कहना है कि नाप और मंत्र जपने से उन्हें सुकून मिलता है। हर्षा ने बताया कि अब वे केवल भजन सुनती हैं और ईश्वर का ध्यान करती हैं। यह अचानक बदलाव तब शुरू हुआ जब उन्होंने अपने गुरुदेव आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी जी महाराज से मुलाकात की।

गुरुदेव से प्रेरणा का सफर

हर्षा रिछारिया, निरंजनी अखाड़े से जुड़ी हुई हैं और आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी जी महाराज की शिष्या हैं। उनके अनुसार, गुरुदेव से मिलने के बाद ही उन्होंने अपनी जिंदगी को बदलने का निर्णय लिया। उन्होंने महसूस किया कि उनके प्रोफेशन में जितना संभव था, वे कर चुकी थीं। अब उनका उद्देश्य केवल भक्ति का मार्ग अपनाना है और ईश्वर की आराधना में लीन होना है।

जब हर्षा ने अपने गुरुदेव से संन्यास लेने और अपना प्रोफेशन छोड़ने की इच्छा जाहिर की, तो गुरुदेव ने उन्हें सलाह दी कि प्रोफेशन छोड़ना समाधान नहीं है। उन्होंने कहा कि ईश्वर ने जो जिम्मेदारियां दी हैं, उन्हें पहले पूरा करना चाहिए। सही समय पर, जब सभी कर्तव्य पूरे हो जाएंगे, तभी उन्हें संन्यास दीक्षा दी जाएगी।

अभी साध्वी नहीं बनीं

फिलहाल, हर्षा रिछारिया को संन्यास दीक्षा नहीं मिली है और वे साध्वी नहीं बनी हैं। वे अभी संन्यासी बनने की दिशा में अपने कदम बढ़ा रही हैं। जब गुरुदेव उन्हें दीक्षा देंगे, तब वे पूर्ण रूप से साध्वी कहलाएंगी।

नए जीवन की शुरुआत

गुरुदेव की सलाह के बाद, हर्षा रिछारिया ने अपना शहर बदलकर उत्तराखंड में बसने का फैसला किया। वहां, उनका ध्यान भक्ति में पूरी तरह से केंद्रित हो गया। धीरे-धीरे उनका मन हर worldly चीज़ों से हटने लगा और भजन-संकीर्तन में लगने लगा। अब भक्ति ही उनका जीवन का मार्ग बन गया है।

पिछली जिंदगी छोड़ने की वजह

हर्षा रिछारिया का कहना है कि भक्ति में जो सुकून है, वह किसी और चीज़ में नहीं। उनका अब अपने पिछले जीवन की ओर लौटने का कोई इरादा नहीं है। वे अपने भक्ति मार्ग पर चलते हुए ही जीवन व्यतीत करना चाहती हैं।

महाकुंभ में भले ही हर्षा रिछारिया एक साध्वी के रूप में चर्चित हो रही हैं, लेकिन उनकी यात्रा अब भी जारी है। उनकी यह नई राह उनके अनुयायियों और भक्तों के लिए प्रेरणा बन रही है।

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