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ओडिशा के तटों पर लाखों कछुओं का अद्भुत आगमन: 5.5 लाख से ज्यादा अंडों से सजी प्रकृति की अनोखी छटा
- Repoter 11
- 22 Feb, 2025
ओडिशा के समुद्री तटों पर हर साल एक अद्भुत प्राकृतिक घटना देखने को मिलती है, जब लाखों ओलिव रिडले कछुए (Olive Ridley Turtles) अंडे देने के लिए तटों पर पहुंचते हैं। इस साल भी, ओडिशा के गहिरमाथा, रुशिकुल्या और देवी नदी मुहाने के पास इन कछुओं ने 5.5 लाख से अधिक अंडे दिए हैं। यह घटना न केवल पर्यावरण प्रेमियों के लिए खुशी की बात है, बल्कि जैव विविधता संरक्षण के लिहाज से भी बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है।
क्यों आते हैं ओडिशा के तटों पर ओलिव रिडले कछुए?
ओलिव रिडले समुद्री कछुए हर साल अक्टूबर से मार्च के बीच गर्म पानी वाले क्षेत्रों की ओर प्रवास करते हैं। लेकिन अंडे देने के लिए, वे विशेष रूप से ओडिशा के कुछ चुनिंदा तटों पर आते हैं। यह प्रक्रिया "अरिबाडा" (Arribada) के नाम से जानी जाती है, जिसमें हजारों मादा कछुए एक साथ किनारे पर आकर अंडे देती हैं।
5.5 लाख से अधिक अंडों का रिकॉर्ड
इस साल, केवल रुशिकुल्या तट पर ही करीब 5.5 लाख से अधिक अंडे दर्ज किए गए हैं। अन्य तटों पर भी बड़ी संख्या में कछुए देखे गए हैं। कछुए रात के समय बालू में 45-50 सेंटीमीटर गहरा गड्ढा खोदकर अपने अंडे देते हैं और फिर उन्हें बालू से ढक देते हैं ताकि वे सुरक्षित रहें। लगभग 45-60 दिनों के भीतर इन अंडों से छोटे कछुए निकलकर समुद्र की ओर बढ़ जाते हैं।
कछुओं की सुरक्षा के लिए उठाए गए कदम
चूंकि ओलिव रिडले कछुए विलुप्तप्राय प्रजातियों में गिने जाते हैं, इसलिए भारतीय वन विभाग और कई स्वयंसेवी संस्थाएं इनके संरक्षण के लिए काम कर रही हैं। इस वर्ष सुरक्षा के लिए निम्नलिखित उपाय किए गए हैं:
- मत्स्य पालन पर प्रतिबंध – कछुओं की सुरक्षा के लिए विशेष क्षेत्रों में मछली पकड़ने पर अस्थायी रोक लगाई गई है।
- रात में रोशनी पर नियंत्रण – समुद्री तटों पर अत्यधिक रोशनी से नवजात कछुए भ्रमित हो सकते हैं, इसलिए वहां कृत्रिम रोशनी को कम किया गया है।
- सुरक्षा दलों की तैनाती – वन विभाग के अधिकारी और स्वयंसेवी कार्यकर्ता इन तटों की निगरानी कर रहे हैं ताकि अंडों की तस्करी न हो सके।
- स्थानीय समुदायों को जागरूक करना – आसपास के गांवों और मछुआरों को भी इस संरक्षण कार्यक्रम से जोड़ा गया है।
ओडिशा: कछुओं के लिए स्वर्ग
ओडिशा के समुद्री तट दुनिया के उन कुछ गिने-चुने स्थानों में से एक हैं जहां ओलिव रिडले कछुए इतनी बड़ी संख्या में अंडे देते हैं। अन्य प्रमुख स्थानों में मैक्सिको और कोस्टा रिका के तट शामिल हैं।
पर्यटन और पारिस्थितिकी संतुलन
यह प्राकृतिक घटना पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बनती जा रही है। हालांकि, सरकार इस बात का खास ख्याल रख रही है कि पर्यटन गतिविधियों से कछुओं को कोई नुकसान न पहुंचे। जैव विविधता को बचाने के लिए पर्यावरणविद लगातार प्रयास कर रहे हैं ताकि यह प्रजाति आने वाली पीढ़ियों के लिए संरक्षित रह सके।
निष्कर्ष
ओलिव रिडले कछुओं का ओडिशा के तटों पर आकर अंडे देना प्रकृति का एक अद्भुत चमत्कार है। यह घटना न केवल जैव विविधता को दर्शाती है, बल्कि हमें यह भी सिखाती है कि किस तरह मानव और वन्यजीवों के बीच संतुलन बनाए रखा जा सकता है। यदि सही तरीके से संरक्षण प्रयास जारी रहे, तो आने वाले वर्षों में भी यह खूबसूरत दृश्य देखने को मिलता रहेगा।
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