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ट्रंप vs जेलेंस्की: दुनिया के सबसे ताकतवर शख्स और जिद्दी जेलेंस्की की फाइट की पूरी कहानी

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दुनिया की राजनीति में जब भी दो मजबूत नेताओं की भिड़ंत होती है, वह इतिहास में दर्ज हो जाती है। हाल के वर्षों में, अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के बीच हुई टकराहट ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी सुर्खियां बटोरी हैं। इस टकराव का संबंध न सिर्फ रूस-यूक्रेन युद्ध से है, बल्कि अमेरिका की विदेश नीति, ट्रंप की राजनीतिक महत्वाकांक्षा और जेलेंस्की की अडिग रणनीति से भी जुड़ा हुआ है।

आइए जानते हैं इस राजनीतिक लड़ाई की पूरी कहानी और इसके पीछे छिपे बड़े कारण।

ट्रंप और जेलेंस्की के रिश्ते की शुरुआत

जब वोलोदिमीर जेलेंस्की 2019 में यूक्रेन के राष्ट्रपति बने, तब अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति थे। दोनों नेताओं के बीच शुरुआत में सामान्य कूटनीतिक संबंध थे, लेकिन जल्द ही एक बड़ा विवाद सामने आया।

"कॉल स्कैंडल" और ट्रंप पर महाभियोग

जुलाई 2019 में डोनाल्ड ट्रंप और वोलोदिमीर जेलेंस्की के बीच एक फोन कॉल हुआ था, जिसमें ट्रंप ने कथित रूप से यूक्रेन पर दबाव बनाया कि वह जो बाइडेन (जो उस समय अमेरिकी चुनाव लड़ रहे थे) और उनके बेटे हंटर बाइडेन के खिलाफ जांच शुरू करे। बदले में, अमेरिका यूक्रेन को सैन्य सहायता जारी करेगा।

इस फोन कॉल की जानकारी लीक होने के बाद अमेरिका में बवाल मच गया, और ट्रंप के खिलाफ महाभियोग (Impeachment) की प्रक्रिया शुरू कर दी गई। हालांकि, अमेरिकी सीनेट ने उन्हें बरी कर दिया, लेकिन इससे ट्रंप-जेलेंस्की के संबंधों में खटास आ गई।

रूस-यूक्रेन युद्ध और ट्रंप की विवादित प्रतिक्रिया

फरवरी 2022 में जब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया, तो जेलेंस्की ने पश्चिमी देशों, खासकर अमेरिका, से मदद मांगी। उस समय जो बाइडेन अमेरिकी राष्ट्रपति थे और उन्होंने यूक्रेन को बड़े पैमाने पर सैन्य और आर्थिक सहायता दी।

ट्रंप का स्टैंड: जेलेंस्की को समर्थन या आलोचना?

  • ट्रंप ने कई बार दावा किया कि अगर वह राष्ट्रपति होते, तो रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू ही नहीं होता।
  • उन्होंने जेलेंस्की को "जिद्दी" और "बाइडेन का प्यादा" कहा।
  • ट्रंप ने यह भी कहा कि अमेरिका को यूक्रेन को अनावश्यक रूप से मदद नहीं देनी चाहिए, जिससे अमेरिकी करदाताओं पर बोझ बढ़े।
  • ट्रंप ने पुतिन के प्रति नरमी दिखाई, जिससे यह संकेत मिला कि वह रूस-यूक्रेन मुद्दे पर अलग रुख रखते हैं।

जेलेंस्की ने ट्रंप की इस बयानबाजी का कड़ा जवाब दिया और कहा कि "अगर यूक्रेन हारता है, तो अगला नंबर अमेरिका का होगा।"

2024 अमेरिकी चुनाव और जेलेंस्की की चिंता

2024 में अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव होने वाले हैं, जिसमें ट्रंप एक बार फिर मैदान में हैं। अगर ट्रंप चुनाव जीतते हैं, तो यूक्रेन को मिलने वाली अमेरिकी मदद पर असर पड़ सकता है।

  • ट्रंप का कहना है कि वह रूस-यूक्रेन युद्ध को 24 घंटे में खत्म कर सकते हैं, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि वह ऐसा कैसे करेंगे।
  • जेलेंस्की को डर है कि अगर ट्रंप राष्ट्रपति बने, तो अमेरिका का झुकाव रूस की ओर हो सकता है।
  • यूरोपीय नेता भी इस मुद्दे पर चिंतित हैं क्योंकि अमेरिका का समर्थन कमजोर पड़ने से यूक्रेन के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

जेलेंस्की की रणनीति और वैश्विक राजनीति

जेलेंस्की ने खुद को सिर्फ एक राष्ट्रपति से ज्यादा, एक वैश्विक लीडर के रूप में प्रस्तुत किया है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र, NATO और यूरोपीय संघ से लगातार मदद मांगी है।

जेलेंस्की की ताकत और जिद

  • उन्होंने अमेरिका और पश्चिमी देशों को यह समझाने में सफलता पाई कि यूक्रेन को समर्थन देना सिर्फ एक देश की रक्षा नहीं, बल्कि लोकतंत्र और वैश्विक सुरक्षा की रक्षा है।
  • जेलेंस्की लगातार अमेरिका और यूरोप को इस युद्ध में संलिप्त बनाए रखने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि उन्हें सैन्य और आर्थिक सहायता मिलती रहे।

 ट्रंप vs जेलेंस्की: आगे क्या होगा?

  • अगर ट्रंप राष्ट्रपति बनते हैं, तो यूक्रेन को मिलने वाली अमेरिकी सहायता में कटौती हो सकती है।
  • ट्रंप के लिए रूस के साथ बातचीत प्राथमिकता हो सकती है, जिससे जेलेंस्की की स्थिति कमजोर हो सकती है।
  • अगर बाइडेन राष्ट्रपति बने रहते हैं, तो यूक्रेन को मौजूदा समर्थन जारी रहने की संभावना है।

क्या यह टकराव और बढ़ेगा?

ट्रंप और जेलेंस्की के बीच यह लड़ाई सिर्फ दो नेताओं की नहीं, बल्कि दो अलग-अलग राजनीतिक विचारधाराओं की है। एक तरफ ट्रंप हैं, जो "अमेरिका फर्स्ट" नीति के तहत विदेशी सहायता कम करने की बात करते हैं, तो दूसरी तरफ जेलेंस्की हैं, जो वैश्विक समर्थन जुटाने की कोशिश में हैं।

निष्कर्ष

डोनाल्ड ट्रंप और वोलोदिमीर जेलेंस्की के बीच यह संघर्ष सिर्फ व्यक्तिगत नहीं, बल्कि वैश्विक राजनीति के संतुलन से जुड़ा हुआ है। 2024 के अमेरिकी चुनाव इस लड़ाई में अहम भूमिका निभाएंगे। अगर ट्रंप जीतते हैं, तो रूस-यूक्रेन युद्ध और वैश्विक राजनीति का पूरा समीकरण बदल सकता है।

अब देखना यह होगा कि आने वाले समय में यह टकराव किस दिशा में जाता है—क्या ट्रंप और जेलेंस्की के रिश्ते और बिगड़ेंगे, या कोई नया समीकरण बनेगा?

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