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बलूचिस्तान में बढ़ता संकट: क्यों पाकिस्तान के नियंत्रण से बाहर हो रही है स्थिति?

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बलूचिस्तान, पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत, वर्तमान में एक जटिल संघर्ष का केंद्र बना हुआ है, जिसमें चीन और अफगानिस्तान की महत्वपूर्ण भूमिकाएँ हैं। इस ब्लॉग में हम समझेंगे कि कैसे इन कारकों ने बलूचिस्तान की स्थिति को पाकिस्तान के नियंत्रण से बाहर कर दिया है।

चीन का हित: सीपीईसी और ग्वादर बंदरगाह

चीन ने पाकिस्तान में चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) के तहत भारी निवेश किया है, जिसका मुख्य उद्देश्य ग्वादर बंदरगाह को विकसित करना है। यह बंदरगाह चीन के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह उसे मध्य पूर्व और अफ्रीका के साथ सीधी समुद्री कनेक्टिविटी प्रदान करता है। हालांकि, बलूच विद्रोही समूह, विशेष रूप से बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA), सीपीईसी और ग्वादर बंदरगाह को उपनिवेशीकरण का प्रतीक मानते हैं और इन्हें निशाना बना रहे हैं। हाल ही में, बीएलए ने जाफर एक्सप्रेस ट्रेन पर हमला किया, जिसमें कई पाकिस्तानी सैनिक मारे गए और दर्जनों बंधक बना लिए गए।

अफगानिस्तान का प्रभाव: तालिबान और टीटीपी

अफगानिस्तान में तालिबान की सत्ता में वापसी के बाद से, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) ने अपनी गतिविधियाँ बढ़ा दी हैं। पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच तनाव बढ़ रहा है, जिससे बलूचिस्तान में अस्थिरता और बढ़ी है। टीटीपी के हमलों और अफगानिस्तान से आने वाले आतंकवादियों ने पाकिस्तान की सेना पर दबाव बढ़ा दिया है, जिससे बलूचिस्तान में सुरक्षा स्थिति और बिगड़ गई है।

बलूच विद्रोह: स्वतंत्रता की मांग और बढ़ते हमले

बलूचिस्तान में स्वतंत्रता की मांग लंबे समय से जारी है, लेकिन हाल के वर्षों में इसमें तेजी आई है। बीएलए और अन्य विद्रोही समूहों ने पाकिस्तानी सेना और चीनी निवेशों पर हमले तेज कर दिए हैं। 2024 में, बीएलए द्वारा किए गए हमलों में 225 लोगों की मौत हुई, जो पिछले वर्षों की तुलना में उल्लेखनीय वृद्धि है।

पाकिस्तान की चुनौतियाँ: नियंत्रण की कमी

चीन के बढ़ते निवेश, अफगानिस्तान से आने वाले आतंकवादियों और बलूच विद्रोहियों की बढ़ती गतिविधियों के बीच, पाकिस्तान के लिए बलूचिस्तान पर नियंत्रण बनाए रखना कठिन हो गया है। आर्थिक संकट, राजनीतिक अस्थिरता और सुरक्षा चुनौतियों ने स्थिति को और जटिल बना दिया है, जिससे बलूचिस्तान की लड़ाई अब पाकिस्तान के नियंत्रण से बाहर होती दिख रही है।

इन सभी कारकों के संयुक्त प्रभाव से बलूचिस्तान की स्थिति अत्यंत संवेदनशील हो गई है, जो न केवल पाकिस्तान, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता के लिए भी चिंता का विषय है।

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