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भारत को 26% टैरिफ से झटका क्यों नहीं? क्या ट्रंप ने रास्ता छोड़ा?

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हाल ही में, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 26% का टैरिफ लगाया है, जिसे उन्होंने 'रिसिप्रोकल' (पारस्परिक) करार दिया है। यह टैरिफ 9 अप्रैल 2025 से प्रभावी होगा और इसे अमेरिका के व्यापक टैरिफ रणनीति का हिस्सा बताया गया है, जिसमें सभी आयातों पर 10% का बेसलाइन टैरिफ और कुछ देशों पर उच्च दरें शामिल हैं।

अमेरिकी प्रशासन का दावा है कि भारत अमेरिकी वस्तुओं पर 52% तक शुल्क लगाता है, जबकि अमेरिकी बाजार में भारतीय उत्पादों को न्यूनतम या शून्य शुल्क का लाभ मिलता रहा है। इसके अलावा, अमेरिका ने मुद्रा हेरफेर और नियामक बाधाओं जैसे गैर-शुल्कीय अवरोधों का भी उल्लेख किया है, जिनके हटने से अमेरिकी निर्यात में वार्षिक $5.3 बिलियन की वृद्धि हो सकती है।

हालांकि, भारत सरकार ने हाल ही में कुछ अमेरिकी उत्पादों पर शुल्क कम किए हैं और अमेरिकी टेक कंपनियों को प्रभावित करने वाले डिजिटल करों को हटा दिया है, जिससे तनाव कम करने का प्रयास किया गया है। फिर भी, अमेरिकी प्रशासन का मानना है कि यह कदम अपर्याप्त हैं, और इसलिए उन्होंने यह 26% का टैरिफ लगाया है।

यह टैरिफ तब तक लागू रहेगा जब तक अमेरिका अपने व्यापार घाटे और अन्य संबंधित चिंताओं का समाधान नहीं मानता। वर्तमान में, अमेरिका और भारत के बीच व्यापार घाटा $46 बिलियन है।

इस टैरिफ के परिणामस्वरूप, भारतीय निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता और निवेशकों के विश्वास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। हालांकि, कुछ क्षेत्रों जैसे परिधान और फुटवियर को प्रतिस्पर्धात्मक लाभ मिल सकता है।

ट्रंप प्रशासन का यह कदम भारत पर दबाव बढ़ाने का प्रयास है ताकि वह अपने व्यापारिक नीतियों में बदलाव करे और अमेरिकी उत्पादों के लिए अपने बाजार को और अधिक खोल सके।

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