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ट्रंप का टैरिफ वार: चीन पर 104% शुल्क, हर दिन मुनाफा

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में घोषणा की है कि कई देशों ने वर्षों तक अमेरिका का आर्थिक शोषण किया है, और अब समय आ गया है कि अमेरिका अपने हितों की रक्षा करे। उन्होंने विशेष रूप से चीन पर 104% का टैरिफ लगाने का निर्णय लिया है, जिससे अमेरिका को प्रतिदिन लगभग 17.2 हजार करोड़ रुपये (लगभग 2 बिलियन डॉलर) का राजस्व प्राप्त हो रहा है।

टैरिफ का उद्देश्य और प्रभाव

ट्रंप प्रशासन का दावा है कि इन टैरिफों का उद्देश्य अमेरिकी उद्योगों की रक्षा करना और व्यापार संतुलन स्थापित करना है। राष्ट्रपति ट्रंप के अनुसार, ये टैरिफ अमेरिकी अर्थव्यवस्था को मजबूत कर रहे हैं और घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा दे रहे हैं।

चीन की प्रतिक्रिया

चीन ने अमेरिकी टैरिफों को 'ब्लैकमेल' करार देते हुए कड़ी प्रतिक्रिया दी है और कहा है कि वह अंत तक लड़ाई जारी रखेगा। चीनी सरकार का मानना है कि ये टैरिफ वैश्विक व्यापार व्यवस्था को नुकसान पहुंचा रहे हैं और उन्होंने जवाबी कदम उठाने की चेतावनी दी है।

वैश्विक व्यापार पर प्रभाव

इन टैरिफों के परिणामस्वरूप वैश्विक वित्तीय बाजारों में अस्थिरता देखी गई है। अमेरिकी स्टॉक मार्केट में गिरावट आई है, जिसमें S&P 500 में 1.6% और Nasdaq में 2.2% की कमी दर्ज की गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि इन टैरिफों से उपभोक्ताओं और व्यवसायों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, जिससे वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि हो सकती है।

अन्य देशों पर प्रभाव

अमेरिका ने केवल चीन ही नहीं, बल्कि यूरोपीय संघ, भारत, जापान, इज़राइल और दक्षिण कोरिया जैसे देशों पर भी टैरिफ लगाए हैं। उदाहरण के लिए, भारत पर 26% का टैरिफ लगाया गया है, जिससे भारतीय निर्यातकों को संभावित रूप से नुकसान हो सकता है।

विशेषज्ञों की राय

कई अर्थशास्त्रियों और व्यापार विशेषज्ञों का मानना है कि इन टैरिफों से अमेरिका और अन्य देशों के बीच व्यापार युद्ध बढ़ सकता है, जिससे वैश्विक अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। वे तर्क देते हैं कि टैरिफ से उपभोक्ताओं को उच्च कीमतें चुकानी पड़ सकती हैं और व्यापारिक संबंधों में तनाव बढ़ सकता है।

निष्कर्ष

राष्ट्रपति ट्रंप के टैरिफ निर्णयों ने वैश्विक व्यापार पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है। जबकि प्रशासन का दावा है कि ये कदम अमेरिकी अर्थव्यवस्था की रक्षा के लिए आवश्यक हैं, कई विशेषज्ञों और प्रभावित देशों का मानना है कि इससे व्यापार युद्ध की संभावना बढ़ रही है, जो वैश्विक आर्थिक स्थिरता के लिए हानिकारक हो सकता है।

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