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17 साल बाद गिरफ्त में तहव्वुर राणा: मुंबई हमले की पूरी टाइमलाइन जानिए
- Repoter 11
- 09 Apr, 2025
26 नवंबर 2008 की रात को जब मुंबई शहर पर आतंक का साया पड़ा, तब किसी ने नहीं सोचा था कि यह हमला भारत के इतिहास के सबसे खौफनाक आतंकवादी हमलों में से एक बन जाएगा। तीन दिनों तक चला यह आतंकी हमला न केवल भारत को हिला गया, बल्कि पूरी दुनिया को भारत की सुरक्षा पर फिर से सोचने पर मजबूर कर दिया। इस हमले की गूंज 17 साल बाद भी सुनाई देती है, और अब एक बड़ी खबर आई है — इस हमले से जुड़ा एक अहम आरोपी तहव्वुर हुसैन राणा शिकंजे में आ गया है।
तो चलिए जानते हैं मुंबई हमले से लेकर तहव्वुर राणा की गिरफ्तारी तक की पूरी टाइमलाइन:
मुंबई हमला: 26/11 की वह काली रात
2008 – आतंक का कहर,
26 नवंबर 2008 की रात 10 पाकिस्तानी आतंकवादी समुद्री रास्ते से मुंबई पहुंचे। उनके निशाने पर था मुंबई का ताज होटल, ओबेरॉय ट्राइडेंट, छत्रपति शिवाजी टर्मिनस (CST), लियोपोल्ड कैफे, नरीमन हाउस और अन्य प्रमुख स्थान।
हमले में 166 लोगों की मौत हुई और 300 से ज्यादा लोग घायल हुए।
अजमल कसाब की गिरफ्तारी
इन 10 आतंकियों में से केवल एक – अजमल कसाब – जिंदा पकड़ा गया। बाकी 9 मारे गए। कसाब की गिरफ्तारी से हमले की साजिश और उसके पीछे के मास्टरमाइंड्स का पर्दाफाश हुआ।
कसाब ने पूछताछ में लश्कर-ए-तैयबा का नाम लिया और बताया कि यह हमला पाकिस्तान से ऑपरेट किया गया था।
2010 – तहव्वुर राणा का नाम सामने आया
तहव्वुर हुसैन राणा कौन है?
तहव्वुर राणा एक पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक है जो पेशे से डॉक्टर था। वह अमेरिका में रहकर इमीग्रेशन सर्विसेस चलाता था। राणा का पुराना दोस्त डेविड कोलमैन हेडली था, जिसने मुंबई हमले की रेकी की थी।
डेविड हेडली की गिरफ्तारी और राणा का लिंक
2009 में अमेरिका में हेडली को गिरफ्तार किया गया। उसने स्वीकार किया कि वह लश्कर-ए-तैयबा के लिए काम करता है और मुंबई हमले की पूरी रेकी उसने ही की थी।
हेडली ने यह भी बताया कि वह राणा के इमीग्रेशन बिज़नेस की आड़ में भारत गया था। यहीं से तहव्वुर राणा का नाम इस साजिश में जुड़ गया।
2011 – अमेरिका में ट्रायल
राणा पर मुकदमा, लेकिन
अमेरिका में 2011 में राणा के खिलाफ मुकदमा चला। उसे दोषी ठहराया गया — लेकिन मुंबई हमलों के लिए नहीं, बल्कि डेनमार्क के अखबार पर हमले की साजिश के लिए।
अमेरिकी अदालत ने यह माना कि राणा को मुंबई हमले की साजिश की पूरी जानकारी नहीं थी, इसलिए उसे इस आरोप से बरी कर दिया गया।
भारत की कोशिश
भारत ने तब से ही तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण (extradition) की कोशिश शुरू कर दी थी। लेकिन अमेरिका में कानूनी प्रक्रिया लंबी थी।
2013 – अजमल कसाब को फांसी
भारत ने 2012 में अजमल कसाब को फांसी पर लटका दिया। यह हमला करने वालों में इकलौता जीवित आतंकी था। लेकिन हमले के मास्टरमाइंड – हाफिज सईद, जकीउर रहमान लखवी जैसे नाम पाकिस्तान में खुलेआम घूमते रहे।
2020 – एक नई उम्मीद
राणा की दोबारा गिरफ्तारी
जून 2020 में अमेरिका में तहव्वुर राणा को फिर से गिरफ्तार किया गया। इस बार भारत के अनुरोध पर।
भारत ने अमेरिका को सबूत दिए कि राणा को मुंबई हमले के मामले में भारत लाकर मुकदमा चलाया जाए। अमेरिका की अदालत में फिर से कानूनी प्रक्रिया शुरू हुई।
2023 – अमेरिका का फैसला
2023 में अमेरिकी अदालत ने भारत को राणा के प्रत्यर्पण की अनुमति दे दी। अदालत ने माना कि भारत के पास पर्याप्त सबूत हैं कि राणा इस हमले में शामिल था या उससे परिचित था।
भारत का दावा
भारत की एजेंसियों के अनुसार, राणा ने हेडली को भारत यात्रा के लिए लॉजिस्टिक और कागज़ी समर्थन दिया। वह हमले की योजना में सहयोगी था।
2025 – 17 साल बाद शिकंजा
अप्रैल 2025 में आखिरकार अमेरिका ने तहव्वुर हुसैन राणा को भारत के हवाले करने की तैयारी पूरी कर ली है। भारत अब उसे मुंबई लाकर पूछताछ और कानूनी कार्यवाही करेगा।
यह 17 साल की मेहनत, कूटनीति और कानूनी प्रक्रिया का नतीजा है।
क्या राणा से मिलेगी नई जानकारी?
तहव्वुर राणा के भारत आने के बाद कई सवालों के जवाब मिलने की उम्मीद है:
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क्या वह लश्कर की पूरी साजिश से वाकिफ था?
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क्या पाकिस्तान की एजेंसियों का सीधा लिंक था?
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क्या और भी नाम सामने आ सकते हैं?
भारत की जांच एजेंसियां उससे पूछताछ में हर पहलू को उजागर करने की कोशिश करेंगी।
निष्कर्ष: इंसाफ देर से, पर होता जरूर है
मुंबई हमले ने न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया को आतंक के खिलाफ एकजुट होने का संदेश दिया। 17 साल का लंबा सफर, कई उतार-चढ़ाव, लेकिन अंततः तहव्वुर राणा को कानून के कटघरे तक लाना एक बड़ी जीत है।
यह केस एक बार फिर साबित करता है कि इंसाफ देर से मिल सकता है, लेकिन अंधेरा हमेशा नहीं रहता।
अगर आपको ये ब्लॉग पसंद आया हो तो शेयर कीजिए, और बताइए कि क्या तहव्वुर राणा को भारत लाकर सही किया जा रहा है? आपकी राय नीचे कमेंट में ज़रूर दें।
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